दशशीश
दशानान्न
दश्कंदन
बुरे और अच्छाई दोनों की मूरत,
चारो वेदों का ज्ञाता,
शिव जी का सबसे बड़ा भक्त,
मृतु क पशचात स्वर्ग जाने वालो के लिए सोने की सीडिया बनाने वाला
ऐसा था महान रजा लंकेश|
१ और इस्त्री का हरण कर पाप का भोगी,
अहंकार ने जिसकी आँखों पर पर्दा दाल दिया,
क्रोध ने जिसे देत्या बना दिया,
और विष्वा जीतने की लालसा ने जिसे पापी बना दिया,दशशीश दशानान्नदश्कंदनबुरे और अच्छाई दोनों की मूरत,चारो वेदों का ज्ञाता,शिव जी का सबसे बड़ा भक्त,मृतु क पशचात स्वर्ग जाने वालो के लिए सोने की सीडिया बनाने वाला ऐसा था महान रजा लंकेश| अहंकार ने जिसकी आँखों पर पर्दा दाल दिया,क्रोध ने जिसे देत्या बना दिया,विष्वा जीतने की लालसा ने जिसे पापी बना दिया,और 1 इस्त्री का हरण कर उसे भगवन राम से मृत्यु दिला दी|रावन को प्रतिवर्ष जलाया जाता है, रावन जैसी उदारता, महानता, ज्ञान और भक्ति आज लोगो में नहीं है परन्तु आज संसार में उससे भी बड़े राक्षस मौजूद है, रावन से ज्यादा बुरे हमारे अन्दर मौजूद है, उन बुरे तत्वों को शरीर से मिटा कर्खुद को इस दशेरे पर पवित्र करे|इस्त्री का सम्मान, क्रोध और अहंकार पर काबू , और लालच का नाश कर कहम इस पर्व का असली मतलब असमझ सकते है |
HAPPY DUSSERA
अच्छे भाव यदि जीवन में अपनायें तो भाव सच्चाई के साहिल हो जायें।
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